
संभावना है-
अर्द्ध से पूर्ण की ओर
तम से प्रकाश की ओर
कमतर से बेहतर की ओर…
अधूरापन एक कमी नहीं,
प्रेरणा है-
अधिक प्रयास करने के लिए
कोई उत्तम कार्य करने के लिए
निर्धारित लक्ष्य को पाने के लिए…
अधूरापन दुर्भाग्य नहीं,
सुअवसर है-
चुनौतियों को स्वीकारने का
अप्राप्य को प्राप्य में बदलने का
कुछ नवोन्मेषी सोचने व करने का…
जीवन में सब कुछ अधूरा है,
परिवार हो या समाज,
हर स्त्री या पुरुष स्वयं में
अधूरा ही होता है,
हर कार्य भी अधूरा होता है,
उन्हें पूर्ण करना ही
हमारे जीवन की सार्थकता है…
अर्धनारीश्वर के बिना
तो यह सृष्टि भी अधूरी है…
अपूर्णता के आगे पूर्णता है,
किंतु पूर्णता के आगे?
कुछ नहीं…
एक ठहराव,
और उसके बाद पतन…
जो रिक्त होगा,
वही तो भरेगा…
पूर्णता का पथ
अपूर्णता के विराम बिंदुओं
से ही प्रशस्त होता है…
अधूरापन को अंगीकार करें,
इसी में –
आनंद की अनुभूति है
सार्थकता का बोध है
संपूर्णता की साध्यता है…
–कौशल किशोर
Very correct, nothing is complete in this world and it’s good to be incomplete. So that we look for more.
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Thanks a lot Dr for reading the post and resonating the views🙏
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Current
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Thanks
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Yes you are right
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Thanks for reading and appreciating!!
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Welcome brother
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बहुत सुंदर रचना 👏
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बहुत बहुत धन्यवाद!!
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